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जब मै पहुंचा शहर चौराहे पे
देखी एक अजब सी सेल
भाग रहे सब इधर उधर
मची हुयी थी रेलम पेल
निकट गया तब ज्ञान हो गया
असली भारत का एहसास हो गया
था चौराहे पे चाट कोर्नर
मादाएं सब लगी हुयी थीं
खेल रही थीं स्वाद का खेल
पुरुषों ने भी संयम तोडा
लगे खेलने वो भी खेल
अब देखो संसद जैसे चाट का तेल
एक हाथ से माथा पोंछे
जब आ जाये चिंता का स्वेद
हाथ डुबाये जब वह पानी में
शुरू हो जाये सारा खेल
नहीं फ़िक्र चिंता नहि कोई
स्वाद बड़ा या स्वस्थ्य जो पूछे
सबकी भौंहें बने गुलेल
हट जाओ जी तुम क्या जानो
ये खाकर कोई मरता है
स्वाद देश यही है भैया
जिसमे मिले पसीने का तेल
संसद भी कुछ ऐसी ही लागे
जहा चले है स्वाद का खेल
देश बन रहा ‘सड़ा गला चाट कोर्नर’
पीएम् बांटे ऐसे बताशे
गरीब जनता का प्रतिरोधी तंत्र
इतना तो मजबूत हो चुका
अब चाहे कुछ भी परोस दो
नही चढ़ेगा उसका फेन
संसद भी यह जान चुकी है
वो भी दुकान चला रही है
धंधा अपना बंद क्यूँ करे
जब मिल पूरा हिंदुस्तान
चटखारे ले ले कर खाए
सड़े अनाज की बदबू वाले
वही बताशा चाहे मुझको
गर तुमको भी इच्छा हो
आ जाना तुम किसी कोने में
मिल जायेगा हर सुलभ स्थान पर
चलता हुआ यही ये ही खेल
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