umeshshuklaairo
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आकाश के पंछी
नीड़ पर लौट चले
आस लगाये एकटक
निर्निमेष से अपलक
देख रहे ”ताजमहल ”
नहीं ….
अपनी मुक्ति की राह
दुआ और प्रार्थना करते
अल्लाह और भगवान से
कामयाब हो बातचीत
वार्ता के सर
सफलता सजे
उड़ सकें फिर हम भी
जाकर उजड़े नीड़ बनायें
नीड़ हमारी राह न ताकें
क्यूँकि
इन बातों की असफलता
और सफलता
की आशा में हमने
कबसे अपने नीड़
न देखे
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