Menu
blogid : 11232 postid : 71

पेट्रोलियम मूल्य वृद्धि से लेकर अखिलेश यादव के बजट तक….

umeshshuklaairo
umeshshuklaairo
  • 231 Posts
  • 54 Comments

न सावन ही बरसा न भादों ही बरसा
बहुत शोर सुनते थे बरसात होगी

जी हाँ आम हिन्दुस्तानी की यही कहानी है… केन्द्रीय सरकार ने गत सप्ताह लगभग 7 .50 प्रति लीटर पेट्रोलिं की मूल्य वृद्धि की .दूध के उबाल की भांति लोगों में आक्रोश फूट पड़ा और ऐसा लगने लगा की यह वृद्धि केन्द्रीय सरकार के लिए ताबूत की आखिरी कील साबित होगा लेकिन धीरे धीरे ये गुस्सा न जाने कहाँ गायब हो गया पता ही नहीं चला. राजनैतिक दलों ने अपनी रोटी सेंकना शुरू कर दिया … 31 मई को भारत बंद लेकिन वास्तविक असर नगण्य
एक बात का मैंने एहसास किया कि जनता में एक पूर्वाग्रह विद्यमान था कि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुँच जाएँगी अतः उनके लिए ये संतोष कि बात थी कि मात्र कुछ ही वृद्धि हुयी शायद जनता की यह संवेदना सरकार तक पहुँच चुकी थी यह सरकार का कौन सा तंत्र है जिसने दो साल पहले से ही अफवाहें फैलाना शुरू कर दिया था की पेट्रोल की कीमतें आने वाले दिनों में लगभग 100 रुपये हो जाएँगी .. जनता के दिलो दिमाग को परिपक्व कर दिया गया इस वृद्धि को स्वीकार करने के लिए तभी तो देखिये कि भारत बंद में भारतवासी नदारद थे जो थे वो केवल अपनी अपनी राजनैतिक जमीन की तलाश में लगे हुए थे
धन्य है ऐसा तंत्र जिसने संवेदनाओं को भी नियंत्रित करना सीख लिया ..शयद राजनीति इसी को कहते हैं. .अब आइये एक नज़र अखिलेश यादव जी के बजट पर भी डाल ली जाये …उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनकी सरकार पेट्रोल पर वैट कम नहीं करेगी .. ये बेचारे करें भी तो कैसे पेट्रोल पर वैट कम करेंगे तो जो चुनावी वादे कर रखे हैं, जिसके कारण वो सत्ता नशीं हुए हैं , उन्हें कैसे पूरा करेंगे आखिर उसके लिए भी तो धन चाहिए होगा जो पहले से ही कम है , तो कोढ़ में खाज वाली हालत पैदा न हो उन्होंने अपने पुराने वादों को पूरा करने पर ज्यादा ध्यान दिया … यहाँ भी देखने वाली बात है कि अखिलेश सरकार को भी यह एहसास हो गया कि जनता पर पेट्रोल मूल्य वृद्धि का कोई फर्क नहीं पड़ा है
यह एक सुअवसर था अपने चुनावी वादे पूरे करके आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए मजबूत नाव तैयार करने का सो अवसर क्यों चूकना …
यह लेख मैंने आम आदमियों कि प्रतिक्रिया जानने के बाद लिखा जिन्होंने यही कहा कि भैया पेट्रोल के दाम तो 100 रुपये तक जाने ही है तो हम फालतू में अपना समय क्यों बर्बाद करें जो होगा देखा जायेगा .. आम आदमी को हर कोई आम कि तरह ही चूसता और काटता है कोई बात नहीं सब सह लेंगे ..
तो क्या अब लोक तंत्र का यही अर्थ रह जायेगा कि लोक ने तंत्र का अधिकार तुमको दे दिया अब हमारी किसी तकलीफ से तुम्हे क्या वास्ता … तुम जियोगे कुछ बरस ही हमको जीना चार दिन

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply