umeshshuklaairo
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नव सत्र सुधामय वह आया
प्रफुल्ल मुदित मनभावन
दिवस वो लाया
मनस पटल अंकित छवि
‘कालेज’ की
जीवंत देखने का दिन आया
व्याकुलता के पल काट काट
पहुंचा मै कालेज के द्वार
प्रथम दृश्य दिख गया मुझे
होता एक विचित्र सत्कार
देख मुझे खुश हुए सीनियर
ज्यूँ मिला हो एक माँ को
वात्सल्य का अतुल्य उपहार
आदेशित किया गया मै
कर दो उस कन्या से प्रेम
इज़हार
प्रसन्न हुआ अंतर्मन मेरा
दबी हुयी इच्छा वर्षों की
होने को थी साकार
किन्तु शरीर मेरा कम्पित था
कर न दे कहीं कन्या प्रतिकार
सहज भाव से गया निकट मै
और हो गया मेरा उद्धार
कन्या ने चुम्बन लिया गाल पर
पुनः दिखाया सीनियर द्वार
प्रसन्न हुए नव पित मात मेरे
और बने मित्र दो चार
उल्लास भरा दिन ढला शीघ्र ही
देकर मुझको स्नेह अपार
आज स्मृत होता पुनः है
यौवन का वह स्नेहिल आचार
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