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एहसास अब भी होता तेरा

umeshshuklaairo
umeshshuklaairo
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हो गए हैं एक बरस अब
तुझको दामन मेरा छोड़े हुए
एहसास अब भी होता तेरा
हर शै में अब भी कायनात की
लगता यूँ ही मुस्कुराती
है खड़ी तू
हर दम बगल मेरे कहीं
चौंक जाता हूँ मैं उस पल
जब भी तेरा एहसास हो
मेरे ही तो सामने
जब मिली तू राख हो
फिर भी दिल ये ढूंढता है
तेरे अद्भुत प्यार को
पोपले से मुंह से तेरा
पुकारना मेरे नाम को
अनसुनी करने पे देना
झिडकियां तमाम वो
कैसे भूलूं किस तरह से
तूने सम्हाला परिवार को
हो चली कृशकाय तू थी
पर था बड़ा शासन तेरा
घर के सरे प्राणी जन
कांपते सुन डांट को
थी बड़ी मीठी तुम्हारी
डपट वो भी जानते थे
तेरे सर अपनी खुशियाँ
गिन गिन के सब वारते थे
न जाने किस गम ने तोड़ा
तू चली प्रभु धाम को
अब भी आदत बन न पाई
न देखने की आपको

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