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भावों की मिठाई

umeshshuklaairo
umeshshuklaairo
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शब्दों के प्यालों में
मन हलवाई ने
भावों की मिठाई
रक्खी थी
अघोषित मर्यादाओं
में बंधा आचरण
तेरा
ताकता रहा
तू सिर्फ प्यालों को
भावों की मिठाई
चखी नहीं
प्यालों के सौंदर्य
में बंधा तू
भूलता गया मिठाई
और एक मैं था
जो रखता ही गया

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