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हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में रिश्वत चलती है
जहा दिल में छुरी सी बसती है
और काम रुपये से होता है
चाहे रोये ज़माना सर पीटे
पर काम उसी का होता है
जो रिश्वत भेंट चढ़ाता है
जेबों में रिश्वत ले जाकर
जाने किसको देते हैं
हम उस देश के वासी हैं
जहा जम कर रिश्वत चलती है
नेताओं की मौज का क्या कहना
दिन रात हवा में उड़ते हैं
जनता के पैसे खा खा कर
डकार लिया नहीं करते हैं
इनको तो शरम भी नहीं आती
जाने किस मिटटी से बनते हैं
कभी चारा खाते ये देखो
कभी कफ़न बेचते दिखते हैं
माँ और बहनों के सौदे ये
खुल कर देखो करते हैं
हम उस देश के वासी हैं
जहाँ ऐसे नेता रहते हैं
बेचारा नागरिक पिसता है
नेता की खोटी सुनता है
रिश्वत भी देता रहता है
सुकून कहीं नहीं मिलता है
नेताओं की रोटी रिश्वत की
थाली में सजाई जाती है
और मासूम सा मैं देखो
आदर्शो की दुहाई देता हूँ
हम उस देश के वासी हैं
जहाँ ऐसा ही होता रहता है
कभी बही थी गंगा यहाँ पर
आज तो नाला बहता है
उसकी सफाई का पैसा
मिलजुल कर खाया जाता है
फिर भी यही मैं कहता हूँ
हम उस देश के वासी है
जिस देश में गंगा बहती है
जिस देश में में गंगा बहती है
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