umeshshuklaairo
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दुश्मन का मस्तक काट सके
जो आँखों में आँखें डाल सके
उग्रवाद की छाती पर चढ़ कर
अपना झंडा गाड़ सके
वो एक कहे तो सौ बोले
अपना ही सम्मान जो रखले
दुश्मन की औकात नहीं
उसके आगे जो बोले
कब आओगे सिंह देश के
दिल्ली के सिंहासन पे
अभी चूड़ियाँ भरी कलाई
दिखती हैं सेनापति के
देश रहा है जो वीरों का
बरस अट्ठारह जीवन का
किसने वीरों को भरमाकर
पथ दिखलाया है प्रमाद का
मनमोहन जो सिंह नहीं
दिखता भगत सा सिंह नहीं
संसद में फिर से विस्फोट कराये
सुन ले बहरे जिनके बाकी कान नहीं
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