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सत्य मिथक

umeshshuklaairo
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सूर्य रश्मियाँ भक्ष रहीं थीं

अंधियारे को कस कर

फिर भी एक धरा का कोना

बचा हुआ था उनसे छुपकर

क्या मेरी भी नियति यही है

मुझ पर प्रकाश न आएगा

नित्य मेरा वैभव कुछ जाता

अंधकार कि महिमा गाता

सत्य मिथक के भ्रम को

शाश्वत सा यह सत्य बताता

आओ मिलकर ढूंढें वह कोना

जग में नहीं अँधियारा होना

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