umeshshuklaairo
- 231 Posts
- 54 Comments
सूर्य रश्मियाँ भक्ष रहीं थीं
अंधियारे को कस कर
फिर भी एक धरा का कोना
बचा हुआ था उनसे छुपकर
क्या मेरी भी नियति यही है
मुझ पर प्रकाश न आएगा
नित्य मेरा वैभव कुछ जाता
अंधकार कि महिमा गाता
सत्य मिथक के भ्रम को
शाश्वत सा यह सत्य बताता
आओ मिलकर ढूंढें वह कोना
जग में नहीं अँधियारा होना
Read Comments