umeshshuklaairo
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जलेगा जिस दिन चूल्हा मेरा
खूब मनाऊंगा दीवाली
पेट भरेगा अन्न से जिस दिन
जेब न होगी जब खाली
मेरा भी तब मन होगा
खूब जलाऊ सभी पटाखे
मेरे भी बच्चों के सर पे
हाथ रखेगा अंधियारे आके
मन का मेरे दीप जलेगा
भूख प्यास और कष्ट भुलाके
हर बरस ही आती दीवाली ये
जगमग जगमग दीप जलाके
मेरे मन अंधियारे का तम
कोई न देखे भीतर आके
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